Saturday, February 21, 2009

आदत



"पुनीत सहलोत की कविता"


कोशिश थी हवाओं की

हमें पत्तों की तरह उडाने की,

साजिश थी ज़माने की

हमें हर वक्त आजमाने की,

साथ किसी का मिल न सका कभी,

पर आदत हमारी थी हर बार जीत जाने की.

यकीन था ख़ुद पर,

कुछ कर गुजरने की ठानी थी,

दीवानगी जो थी मंजिल को पाने की,

उसे जूनून अपना बनाने की

आदत हमारी थी.

राह जो चुनी थी हमने अपनी,

हर मोड़ पर मिली मुश्किलों की सौगात थी,

हर छोर पर गुलशन खिला दिए हमने,

कांटो से भी यारी की,

आदत हमारी थी.

ढल चुका था सूरज,

अब चाँद से मुलाक़ात की बारी थी,

ख्वाब जो देखे थे इन बंद आंखों ने,

हकीक़त उन्हें बनाने की,

आदत हमारी थी.

15 comments:

  1. puneet main tumhara bahut bahut shukraguzar hun k tumne mere blog me dilchaspi dikhai. shukriya

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  2. कुछ कर गुजरने की ठानी थी,

    दीवानगी जो थी मंजिल को पाने की,

    उसे जूनून अपना बनाने की

    आदत हमारी थी.
    मन के तार को झकझोर देने वाली कविता है .
    सलाम लिखते रहिये ...

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  3. waah jandar shandaar rachana,badhaibahut sakaratmak.

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  4. bahut achchee bhav poorna kavita .puneet ji ko meree dheron badhaiyan.
    Hemant Kumar

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  5. शुक्रिया फ़राज़ भाई अच्छी और दमदार रचना पढने का मौका दिया,बधाई पुनीत जी को अच्छे और सकारात्मक लेखन के लिये।

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  6. बहुत ही उन्मुक्त, दीवानेपन से भरी, जीवन के उमंड से भरी है यह रचना आपकी
    ज़िन्दगी के कुछ उलझे हुवे हालातों में ऐसे रचना संजीवनी का काम करती है

    अच्छा लिखा है, लिखता रहें ऐसी ही रचनाएँ

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  7. बहुत बढिया रचना है।बधाई।

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  8. aap sabhi ko mera hardik dhanyawad ki aapne meri kavita padhi or us par apni raay di. Shamikh bhaiya ko khas taur par shukriya kehna chahunga ki unhone meri kavita ko post kiya apne blog par.

    Aap sabhi ka mere blog par swaagat hai.

    Puneet Sahalot
    http://imajeeb.blospot.com

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  9. जीवन को नया बल देती दम दार रचना,,,,,बहुत बहुत बधाई,,,

    शमिख जी,
    सिर्फ़ यूँ लिखे की "ऊपर वाला शेर और चित्र मनु बे-तखल्लुस का नही है...
    यूँ ना लिखें....की
    इन से मेरा कोई वास्ता नही है,,,,,,,,,,,इनसे मेरा वास्ता तो बहुत गहरा है,,,

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  10. manu ji aapka inse bahut gahra vaasta hai to main yah line hata deta hun. agar aapko dukh pahuncha to soory

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  11. बहुत सुन्दर रचना पढवाई है आपने शामिख भाई, पुनीत भाई को बहुत बहुत बधाई।

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  12. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई!
    बहुत ही शानदार लिखा है आपने!

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  13. bahut aachi haa...........very positive

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