Sunday, April 26, 2009

वतन की याद आई तो छोड़ आये कैलिफोर्निया

बचपन की यादें भला किसे नहीं सताती. अपनी अक्लमंदी के बल पे सात समंदर पर जा के अपनी काबलियत का डंका पिटवाने वाले शख्स भी उस मिट्टी से मोह नहीं त्याग पाते हैं जिसमे वह पले बढे होते हैं. दुनिया के २०० बहतरीन टेक्नोकिरेट में शुमार साउदर्न कैलिफोर्निया के विजिटिंग प्रोफ़ेसर जमशेद आकिल मुनीर बचपन की इन्ही यादों की बदोलत शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा जिला) से अपना नाता जोड़े हुए हैं.
शाहजहांपुर एजूकेशन एंड कल्चर सोसाइटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ़ खान की गुजारिश पर शाहजहांपुर आये प्रोफ़ेसर जमशेद मुनीर से जो भी मिला सादगी में लिपटी उनकी काबलियत देखकर दंग रह गया. शिक्षा खेल और औद्योगिक तकनीक में अच्छी पकड़ रखने वाले इन ८० साल के बुजुर्ग से जो भी मिला उसने इनकी आँखों में कुछ नया करने का जज्बा ही देखा.
गंभीर किन्तु हंसमुख मिजाज के प्रोफ़ेसर मुनीर मशहूर शायर जोश मलीहाबादी के शहर मलीहाबाद (लखनऊ) के रहने वाले हैं. बाद में समय का थपेडा उन्हें ज़िन्दगी सवांरने के लिए यहाँ से उड़ा ले गया. नैनीताल के सैंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल से आरंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अलीगढ यूनिवर्सिटी से १९४४ में इंटर और १९४८ में BSc. की और वहीँ पर १९५८ तक रीडर रहे.
इसी के साथ उन्होंने सफलता के झंडे गाड़ने शुरू कर दिए. उन दिनों आर्मी के इंजीनियरिंग चीफ मंगत राम की सलाह पर वह वर्ल्ड टूर पर निकले. मुंबई से कोलम्बो, ओकोलामा, टोकियो, हांगकांग होते हुए लॉस एंजिल्स पंहुचे. वहां यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउदर्न कैलिफोर्निया उनकी मंजिल बनी. वहीँ उन्होंने इंडसट्रियल इंजीनियरिंग में MSc. की.

वहीँ पर उन्होंने गामा बीटा रेज़ मापने वाले प्रोजेक्ट टाइप इस्पिकोस्कोपे का अविष्कार किया. वतन की याद आई तो प्रोफ़ेसर मुनीर तीसरे टर्न में अध्यापन का प्रस्ताव ठुकराकर वापस लौट आये और AMU में हेड ऑफ मेकेनिकल इंजीनियरिंग के हेड बने.

वह चाहते तो इस्पीकोस्कोपे को अमेरिका में ही पेटेंट करा लेते लेकिन अपने जीवन की अमूल्य धरोहर को राष्ट्रीय संपत्ति बनाने के लिए इसे भारत में ही पेटेंट कराया. उनकी इस खोज को अमेरिका ने हाथों हाथ लिया और विश्व के दो सौ तकनीकी विशेषज्ञों में उन्हें गिना.
यही नहीं उच्च स्तरीय मेधा के धनी प्रोफ़ेसर मुनीर ने खेलों की दुनिया में भी नाम कमाया. वह अलीगढ यूनिवर्सिटी में होर्से रीडिंग क्लब के अध्यक्ष भी रहे. उसी समय रोलर सकेटिंग में भी चैम्पियनशिप हासिल की. इतना सब होने के बावुजूद उनेहे घमंड और गुरूर छू भी नहीं सका है.

24 comments:

  1. कुछ ऐसे ही लोगों के लिए ये sher बना है
    "कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी"

    सलाम है मुनीर साहब को ..............

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  2. apne vatan jesa kuch bhi kahin bhi nahi hai mai bhi 4 mah ki chutti le kar california gayee thi par do mah me hi laut aayee khoobsurat saf hone ke bavzood bhi dil nahi laga hava me vo sanvednayen nahi hain logon me vo piyar nahi hai
    jo sukh chhaju de chaubare vo na balkh naa bukhaare

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  3. ji bhaiya bilkul yaad hai... apko kaise bhulunga... :) bahut hi achha lekh prastut kiya hai aapne. sahi kehte hai... "hindustani kahi bhi rahe hindustani hi hota hai, apne watan ko bhulta nahi hai"

    waise bhaiya wo pyaar nahi dosti k pyaar ki fiza hai... :)

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  4. Dekha jaye to aap vaakai blog par kuchh sarthak kar rahe hain. Ham bhi kuchh isi tarah se vichar banaa rahe hain. Huaa ye ki abhi kuchh din pahle desh ke ek mahaan vyakti ke baare men jaankari internet par khoj rahe the. pataa laga ki hindi men jankari ka ABHAAV hai. bas ek Blog SHAKHSIYAT ke naam se banaa diya. abhi jankari ikattha kar rahe hain. paryapt jaanakri hone par prasiddh vyaktiyon ke baare men post karenge.
    aasha hai ki aapse bhi sahyog milta rahega. HINDI ke prati to ham sabko prem hona chahiye.
    Hindi vikas ke liye banaaye http://shabdkar.blogspot.com par bhi jaaiyega.

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  6. wah huzuur !!
    acchi jaankari...

    sahi likha hai naswa ji ne...

    "....Yun to raha hai dushman daur-e-jahan hamara !"

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  7. प्रोफेसर आकिल मुनीर को हमारा सलाम....!!

    हमें गर्व है उन पर .....!!

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  8. shaaamikh dear,
    ap the kahaan,,,,,????
    ab ke hind yugm par aapko naa paaker maine hallaa kar diya wahaan par,,,,,

    bahut baad mein sochaa ke shaayad koi exaam wagairah rahaa hogaa,,,,,

    sab khairiyat se to hai na,,,??

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  9. मिटटी की मोह तो अपने देश खीच ही
    लाती है . यही तो आकर मन को चैन मिलता है .

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  10. manu ji chalie aapko mera dhyan to hai. main to soch raha tha k aap shayad mujhe bhul gaye honge.

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  11. Faraz ne aik bar phir us shakhsiyat se milvaya hai jo itne bade kam k bawujud b aam logo k beech mashhoor nahi hai. us ka aam logo ko pahchan dilane ka kam waqai qabile tareeef hai.

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  12. प्रोफ़ेसर साब को हमारा सलाम्।

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  13. ऐसी शक्सियत को हमारा सलाम

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  14. Prof. sahab ke baare me jaankar bahut achcha laga.

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  15. ऐसी प्रेरक सख्श्यित के मेरा सलाम पहुंचे।

    -----------
    TSALIIM
    SBAI

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  16. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई!
    मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! आप बहुत सुंदर लिखते हैं!

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  17. aapke blog par mera pahli baar aana hua hai.. achcha laga ... nice post.....

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  18. ऐसी हस्‍ती को मेरा सलाम पहुंचे।

    -----------
    SBAI TSALIIM

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  19. मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत कविता पढें और अपनी माँ के प्यार,अहसास और त्याग को जिंदा रखें
    कविता पढने नीचे क्लीक करें

    सताता है,रुलाता है,हाँथ उठाता है पर वो मुझे माँ कहता है

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  20. Prof. sahab to kamal dikha gaye,
    Unhe hamara bhi salaam

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  21. aap reality ko imandari se sab ke samne late hai, sayed mai aap se prerna le kar aese case stude kar saku...

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  22. यह वो अहसास है जिससे हर दिन हम दो-चार होते रहते हैं..
    हम तो हसरत की चादर ओढे बैठे हैं...
    उन्हें हमारा सलाम ज़रूर कहें.. और ये भी कहें वो हमारे देश का अभिमान है..

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