Friday, June 10, 2011

हौसले की उड़ान

"उलट जाती हैं तदबीरें पलट जाती हैं तकदीरें, अगर ढूंढे नई दुनिया इन्सां पा ही जाता है"

फ़िराकजिंदादिली की इस  कड़ी में हम हाजिर हैं  एक और जिंदादिल इंसान की कहानी लेकर. 

'फ़िराक' गोरखपुरी के इस शेअर को सच कर दिखाया छितिज अनेजा ने .क्षितिज अनेजा एक ऐसा नाम जो परेशानियों से लड़ा और जी भर के लड़ा और तब तक लड़ता गया, जब तक कि वह हार कर वापस नहीं चली गई.उसका बचपन दूसरे बच्चों के बचपन की तरह आम नहीं था. बचपन में उसके साथ एक ऐसा हादसा गुजरा जो उसे जिंदगी भर के लिए उसको लाचार कर सकता था. एक हादसे में क्षितिज के दोनों हाथ कट गए और वह मजबूर हो गया एक अपाहिज की जिंदगी जीने के लिए. इससे पहले कि परेशानियों उसे परेशान करती, उसने हिम्मत और हौसले को इकट्ठा करना शुरू किया. बचपन में पतंग उड़ाते समय करंट लगने की वजह से उसको अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े. बचपन में हुए इस  हादसे के बाद भी वो न तो किसी पे बोझ है और न ही उसे किसी सहारे की जरूरत है. वो पढने लिखने से लेकर खेल कूद सभी में आगे रहता है. हाथ न होने के बावजूद भी उसने दसवी की परीक्षा दी. अगर आप ये सोच रहे है की उसने राइटर का सहारा लिया तो ये गलत है. उसे बोर्ड एक्साम के लिए रायटर देने की बात कही गई लेकिन उसने साफ़ मना कर दिया. उसका कहना था की उसे बोझ न समझा जाये वो भी और लडको की तरह सामान्य ही है. उसके इस आत्मविश्वास के सभी कायल हो चुके है. बचपन में पतंग उड़ाते समय करंट लगने की वजह से उसे अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े पर फिर भी उसका होसला कम न हुआ.उसका कहना है "उसे इस बात का कोई मलाल नही है.ये तो हादसा था.किसी के भी साथ हो सकता है।" उसके बारे में कुछ और भी हैरान कर देने वाल़ी बाते भी है. क्रिकेट खेलते समय वो पेरो से गेंद पकड़ के सीधे स्टंप पे थ्रो कर देता है. क्रिकेट के अलावा फुटबाल में भी उसकी तूती बोलती है.यही नही बल्कि वो अच्छी ड्राईविंग भी कर लेता है. उसने बताया की उसकी तमन्ना CA बनने की है.वो विकलांग बच्चों के लिए स्कूल खोलना चाहता है.उसके स्कूल की प्रिसिपल का कहना है की भले ही उसे कुदरत ने विकलांग बना दिया लेकिन साथ ही उसे अनोखी प्रतिभाएं भी दी हैं.

क्षितिज की जिंदादिली के लिए उसको सलाम. सलाम जिंदादिली