Tuesday, June 2, 2009

एक चुनाव ऐसा भी

यह चुनाव विधानसभा या लोक सभा का नहीं यह चुनाव था अपने आप से. एक चुनाव तो डॉ. राजेश मिश्र ने भी १७ साल पहले लड़ा था जिसे उन्होंने जीता भी और आज तक उसी सीट पर डटे हुए हैं. ऐसा कोई नहीं है जो उन्हें हरा सके. एक ओर संसार की तमाम सुख सुविधाएँ थी इनसे राजेश ऐशो आराम उठा सकते थे दूसरी तरफ़ थी कशमकश भरी ज़िन्दगी जिसमे उन्हें दूसरो की ही चिंता थी. उन्हें मालूम था के इस रस्ते पे चलने पे अजीबोग़रीब लोग मिलेंगे. लेकिन उन्हें तो सवार था दूसरो को जागरूक करने का जूनून.
इस समय डॉ. राजेश मिश्र ४२ साल के हैं. वह इन दिनों जाग्रति अभ्यान पर हैं. पूरे साढ़े सात हज़ार किलोमीटर की यात्रा दिल्ली से शुरू की। यात्रा का मकसद लोगों को राष्ट्रिये एकता और परिवर्तन के प्रति जागरूक करना था. पिता का स्वर्गवास हो गया फिर भी इस मुश्किल घडी में वह डिगे नहीं. दुनिया से दूर अपना ध्यान पढाई में लगाया. पढाई के दौरान ही वह महात्मा गांधी के करीबी डॉ. विठालदास मोदी से मिले. उनका प्रभाव ऐसा पड़ा के राजेश ने देशभर के लोगो के लिए कुछ करने का प्रण लिया.
नैचरोपथ के डाक्टर बन चुके राजेश ने हरदोई में लोगो का इलाज शुरू किया. बहुत ही कम ५ रूपये का पर्चा बना कर लोगो को इलाची मुनक्का दवाई के रूप में देते हैं. उनका विवाह भी हुआ लेकिन इन सब में राजेश का मन नहीं लगा.
मन में उथल पुथल थी। फिर एक दिन उन्होंने दिल्ली के राजघाट से हरदोई तक की यात्रा की. यह बात २००६ की है। इसके बाद युवा संकल्प यात्रा और अब जाग्रति अभियान पर हैं. कहते है के मेरे काम को लेकर घर में कोई विरोध नहीं हुआ. क्या इन यात्राओं का लोगो पर कोई लाभ हुआ? इस सवाल के जवाब में कहते हैं के लोगो के हमारे पास फोन आते हैं जिसका मतलब यही है के लोगो पर यात्राओं का असर हो रहा है.
खुद डाक्टर राजेश मरीजों से होने वाली आय यात्राओं पर खर्च करते हैं. हैरत होगी यह जानकर के उनका आजतक किसी बैंक में कोई अकाउंट तक नहीं है।यात्रा के दौरान लोग आपको कटुवचन कहते होंगे जवाब था..... मैं उन्हें मनोरोगी समझ साफ माफ़ कर देता था. ऐसे है हरदोई के राजेश मिश्रा. यूँ तो हजारों लोग लोक सभा और विधानसभा का चुनाव लड़ते है लेकिन कोई राजेश जी जैसा चुनाव लादे और जीते तो अलग बात होगी.

17 comments:

  1. raajesh जी की हिम्मत और लगन की दाद देनी पढेगी............आज के कठिन दौर में भी इतनी सेवा का व्रत.......मुश्किल से मिलते हैं ऐसे लोग...........नमन है उनको मेरा

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  2. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई!
    बहुत बढ़िया! बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई! आजकल तो दूसरों की सेवा करने वाले लोग बहुत कम दिखने को मिलता है पर दूसरों की मदद करके जो सुख प्राप्त होता है उससे बढकर और कोई चीज़ नहीं होती!

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  3. ऐसे व्यक्ति ही नयी राह बनाते हैं,असंख्य लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बनते हैं और सच्चे अर्थों में जीवन को जीते हैं....

    बड़ा ही अच्छा लगा आपका यह आलेख पढ़कर...इस महान व्यक्तित्व के प्रति तो मन नतमस्तक हुआ ही,आपके लिए भी आभार से भर गया की आपने हमें इनके बारे में जानने का अवसर दिया....

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  4. अगर ऐसे व्यक्ति इस संसार में हैं तो बहुत अच्छी बात है ....शायद इन्ही जैसों की वजह से कुछ भला हो सके

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  5. ऐसे सेवाभावी को हमारा सलाम पहुंचे।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  6. hello bhaiya...
    kaafi dino baad aapke blog par aaya hu.
    or maafi chahunga ki aaj bhi bina kuch padhe hi ja raha hoon.
    aajkal time kam milta hai isliye na khud ke blog par kuch likhne ki fursat hai or naa hi kuchh padhne ki.
    or xams aa gaye hain wo alag.
    so zams khatm hone k baad fir se blogging shuru karunga.
    or haan main aapko bhula nahin hoon. :)

    bye..

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  7. अफराज़ जी,

    बहुत ही उम्दा है आपका प्रयास कि ऐसी छुपी हुई हस्ती का परिचय सबसे कराना और अनुकरण के लिये प्रोत्साहित करना।

    डॉ. राजेश जी मिश्र, ना केवल सम्मान केआधिकारी हैं, बल्कि उनका अनुकरण भी होना चाहिये। यदि एक और उन जैसा बन जाये तो यह समझा जा सकता है कि मानवीय संभावनायें अपार है।

    मेरी माँ अक्सर कहती है कि कोई न कोई तो है इस धरा पर जो संभाले हुये हौ कृष्ण की तरह नही तो यह पृथ्वी कब की रसातल में समा जाती।

    ऐसे ही व्यक्तियों का यशगान और कीर्ती को चंहुओर फैलाइये, हम सब आपके साथ हैं।


    आपका शुभेच्छु

    मुकेश कुमार तिवारी

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  8. bahut sundar mitr.

    dr. rajesh ke baare me bata kar aapna bahut hi acchi misaal di hai aur mera bhi salaam pahunche us mahan shakhsiyat ko..

    badhai ...

    dhanywad.
    vijay

    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

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  9. राजेश जी जैसे लोगों के भरोसे ही इस देश में मानवता कायम है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  10. सेवा इंसान को खुदा से मिला बेशकीमती तोहफा है, इस तोहफे का इस्तमाल कोन किस तरह करता है, इंसान के जिम्मे है..
    राजेश जी जैसो ने बखूबी इस्तमाल किया तो खुदा की इबादत बन गई, दुनिया मे यही याद के काबिल बन जाता है और इंसान इंसान साबित हो जाता है.

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  11. शामिख फ़राज़ जी, ऐसे सच्चे लोगों से परिचय कराने का शुक्रिया!

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  12. जो अपनी पहचान खुद,
    जग उसको पहचान.
    वंदन करता है 'सलिल',
    हो रस फ़राज़ रस-खान..

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  13. Prerak prasang....

    ...bahut kam log hote hai aise...

    ..inse parichay karane hetu dhanyavaad.

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